because I write....

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Monday, April 09, 2012

लेकिन प्यार तो है

Though Neither I am not a professional writer, nor I am willing to be  As this blog is true color of mine , I am placing one of my effort . I am not reiterating  to recognize  my lackluster  poet though :) . If you find it yawning, please scroll forward :).



बना सकूँ ना ताजमहल तेरी याद में , लेकिन प्यार तो है
पढ़े ना जायें शेर अपने नाम के , लेकिन प्यार तो है |

मुहताज नहीं हैं ज़ज्बात , किसी तारीफ के अपना,
गरज नहीं है लबों को , सब कुछ कहना,
आतें भी नहीं उतर , नीर सदा आँखों में,
देते भी  नहीं हम खो , नींद रातों में |

मतलब नहीं सबूतों का, प्रत्यक्ष दिल तार तार तो है |
बना सकूँ ना ताजमहल तेरी याद में , लेकिन प्यार तो है |

हम वो भी नहीं हैं , जो दुनियाँ को भुला देते हैं ,
कोशिश हंसाने की सबको, पर खुद को ही रुला देते हैं |
रहें ना फ़िज़ा खुद की महफूज , गम-ए इश्क़ निराधार तो है
खातिर आपकी नज़रों में फिर भी  , इंतज़ार तो है |
बना सकूँ ना ताजमहल तेरी याद में , लेकिन प्यार तो है |


द्वारा : सुमित